Aadhar Card: सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को उम्र प्रमाण पत्र मानने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट द्वारा आदेश जारी कर दिया है अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब किसी भी आयु निर्धन के लिए स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जैसा दस्तावेज की आवश्यकता होगी UIDAI के दिशा-निर्देशों के अनुसार अब केवल आधार कार्ड का इस्तेमाल जन्मतिथि प्रमाण पत्र के लिए किया जाएगा। तो चलिए जानते हैं आधार कार्ड पर हुए बदलाव की जानकारी।
हाल ही में हुए बड़े बदलाव के चलते सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है जिसमें पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने एक सड़क दुर्घटना के पीड़ित को मुआवजा देने के लिए आधार कार्ड पर आधारित उम्र निर्धारित की थी जिसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस निर्णय को पलटते हुए अब आधार कार्ड को उम्र प्रमाण पत्र मानने से इनकार कर दिया है अब उम्र के लिए केवल अन्य दस्तावेज जैसे स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।
स्कूल सर्टिफिकेट को प्राथमिकता
न्यायमूर्ति अजय करोल और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने कहा कि मृतक की उम्र किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 94 के तहत विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र में उल्लिखित जन्मतिथि से निर्धारित की जाना चाहिए और पहचान प्राधिकरण ने अपने परिपत्र संख्या 8/2023 के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा 20 सितंबर 2018 को जारी एक कार्यालय स्थापना करने के लिए इसे इस्तेमाल किया जा सकता है परंतु यह जन्मतिथि का प्रमाण नहीं है।तो चलिए जानते हैं आधार कार्ड पर हुए बड़े बदलाव से संबंधित संपूर्ण जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से बन रहे आर्टिकल में अंत
2015 से जुड़े दुर्घटना केस से जुड़ा है मामला
शीघ्र अदालत ने दावेदार -अपीलकर्ताओं के तर्क को स्वीकार करते हुए मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के फैसले को ध्यान में रखते हुए उम्र की गणना उसके स्कूल छोड़ने के प्रमाण पत्र के आधार पर की थी और अदालत 2015 में एक सड़क दुर्घटना में मारे गए एक व्यक्ति के परिजनों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी एमएसीटी, रोहतक ने 19.35 लाख रुपये का मुआवजा दिया था लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे 9. 22 लाख रुपए कर दिए क्योंकि एमएसीटी ने आयु गुणक को गलत तरीके से लागू किया था। जाने इसकी पूरी जानकारी।
आधार कार्ड और स्कूल सर्टिफिकेट के उम्र में अंतर
उच्च न्यायालय में मृतक के आधार कार्ड पर भरोसा करते हुए उसकी उम्र 47 वर्ष आंकी थी. परिवार ने दलील दी कि उच्च न्यायालय के आधार कार्ड के आधार पर मृत्यु की उम्र निर्धारित करने में गलती है क्योंकि यदि उसके विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र के अनुसार उसे व्यक्ति की उम्र लगभग मृत्यु के समय उसकी उम्र 45 वर्ष थी. इसी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया आधार कार्ड को लेकर बड़ा फैसला
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